ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) एक दुर्लभ लेकिन असली मेडिकल स्थिति है, जिसमें व्यक्ति का शरीर — खासकर आंतें (intestines) — अंदर ही अंदर खाने में मौजूद कार्बोहाइड्रेट (जैसे चावल, ब्रेड, चीनी) को अल्कोहल (ethanol) में बदल देता है। यह सब बिना किसी बाहरी शराब के सेवन के होता है।
🚨 सरल भाषा में समझें:
जैसे फैक्ट्री में यीस्ट (खमीर) से शराब बनाई जाती है, वैसे ही कुछ लोगों के पेट में खमीर (yeast) इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि वह खाना पचाते समय खुद ही शराब बनाने लगता है। इस वजह से व्यक्ति बिना पिए भी नशे में दिखता है।
🧬 क्या कारण होता है?
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आंतों में Candida albicans या Saccharomyces cerevisiae जैसे यीस्ट की अत्यधिक वृद्धि।
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कभी-कभी एंटीबायोटिक दवाओं के बाद अच्छे बैक्टीरिया मर जाते हैं और यीस्ट बढ़ जाता है।
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शुगर और हाई कार्ब डाइट यीस्ट को और एक्टिव बना देती है।
⚠️ इसके लक्षण क्या हैं?
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बिना शराब पिए नशे जैसा महसूस होना
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चक्कर आना, थकान, बोलने में गड़बड़ी
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भ्रम की स्थिति (confusion)
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पेट में फुलाव या गैस
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सांस से शराब जैसी गंध आना
🔬 कैसे पता चलता है?
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ब्लड टेस्ट – बिना पिए भी अल्कोहल दिखता है।
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कार्बोहाइड्रेट चैलेंज टेस्ट – व्यक्ति को शक्कर दी जाती है, फिर ब्लड में अल्कोहल मापा जाता है।
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स्टूल टेस्ट – यीस्ट की पहचान की जाती है।
💊 इलाज क्या है?
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एंटीफंगल दवाएं (जैसे Fluconazole) – यीस्ट को मारने के लिए।
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लो-कार्ब और नो-शुगर डाइट – यीस्ट को “भूखा” रखने के लिए।
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प्रोबायोटिक्स – अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाने के लिए।
🧘♀️ देखभाल कैसे करें?
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मीठा, शराब, सफेद ब्रेड, चावल जैसी चीज़ें बंद करें।
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डॉक्टर की निगरानी में दवा और डाइट अपनाएं।
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ज्यादा पानी पिएं, पेट की सफाई पर ध्यान दें।
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